भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में बना चिनाव रेल ब्रिज दुनिया का सबसे ऊँचा आर्क रेलवे ब्रिज है। इस रेलवे ब्रिज की नदी तल से ऊँचाई 359 मीटर यानी 1178 फुट है जो की ऐफ़िल टावर (300 मीटर) से भी ज़्यादा है। यह पुल भूकंप के जोन 4 में आती है लेकिन इसे भूकम्पीय जोन 5 के लिए डिज़ाइन किया है। इस पुल पर ट्रेन की रफ़्तार 100 किमी/घंटा की स्पीड से ट्रेन भाग सकती है।इस पुल के बनने से कश्मीर घाटी की जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ देश के और भागों से भी कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी।
चिनाव रेल ब्रिज 1315 मीटर लंबा है जिसमें 513 मीटर ज़मीन के ऊपर और बचा हुआ भाग चेनाव वैली पर बना हुआ है। चिनाव रेल ब्रिज 120 सालों के लिए बनाया गया है, जिसका मतलब है यह रेल ब्रिज लंबे सालों तक रेल में अपनी सेवा प्रदान करता रहेगा।
चिनाव रेल ब्रिज का निर्माण यहाँ पर चलने वाली तीव्र गति की हवा को देखकर किया गया है। यह रेल ब्रिज 266 किमी/ घंटा की स्पीड से चलने वाली हवा को आसानी से झेल सकता है। चिनाव रेल ब्रिज के निर्माण में लगभग 30,000 मीट्रिक टन स्टील का उपयोग किया गया है और इसके बनने में 1486 करोड़ का लागत आया है।
इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के अनुसार इस पुल के निर्माण के लिए सबसे पहले 200 किमी एक सड़क और 400 मीटर की एक गुफा का निर्माण किया गया था। इस पुल का निर्माण कार्य 2004 में शुरू किया गया था जिसकी ज़िम्मेदारी कोंकण रेलवे द्वारा अफ़कॉन कंपनी को दिया गया था।
जिस क्षेत्र में इस पुल का निर्माण किया गया है उस एरिया में डोलोमाइट रॉक है, जिनमे दरारें आती है और वे दबाव के कारण बैठ सकती है। यह क्षेत्र भूकंप के लिहाज़ से सीजमिक जोन -4 में आता है और यहाँ पर हर 2 से 3 मिनट में 1 से 3 रिएक्टर का भूकंप आता है। सीजमिक जोन -4 में आने के बाद भी यह -5 सीजमिक जोन तक के भूकंप को झेल सकता है। यदि किसी कारण से एक साथ सात पुल टूट भी जाते है तो फिर भी पुल पर रेल बाधा बंद नही होगी।
बता दें की चिनाव रेल ब्रिज भारतीय रेलवे के उधमपुर-कश्मीर-बारामूला रेल लिंक का हिस्सा है जो कश्मीर को भारत के अन्य हिस्से से जोड़ने का काम कर रही है।